पांचवी अनुसूची आदिवासियों के लिए संजीवनी बूटी के समान क्यों है?
पांचवी अनुसूची आदिवासियों के लिए संजीवनी बूटी के सामान क्यों है- इस पोस्ट को पढ़ने के बाद समझ आ जाएगा कि हम क्या हैं?
हमारे लिए इसे समझना क्यों जरूरी है भारतीय संविधान में भाग 10 में अनुसूचित और जनजाति क्षेत्रों के बारे में विस्तार से उल्लेख है! और पांचवी अनुसूची में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में उपबंध है।
संविधान के अनुच्छेद 244 (1) में अनुसूचित क्षेत्रों के लिए व्यवस्था की गई है, यानी पांचवी अनुसूची के अंतर्गत धारा 244 (1) के अनुसार अनुसूचित क्षेत्रों में सिर्फ और सिर्फ आदिवासियों का ही शासन चलेगा !!
पांचवी अनुसूची के तहत मिलने वाली सुविधाओं को बहुत ही सरल शब्दों में इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी को समझाने का प्रयास करूंगा -
1. पांचवी अनुसूची क्या है- अनुसूचित क्षेत्रों में आने वाले जंगलों, नदियों ,तालाबों ,पहाड़ों, वन संपदा पर नियंत्रण सिर्फ आदिवासियों का होना चाहिए! आदिवासी भाइयों यह हमारा संवैधानिक अधिकार है, लेकिन इनमें से एक भी बात का पूरी तरह से पालन आजादी के 70 साल के बाद भी नहीं हुआ है!!
2. आदिवासी की जमीन के नीचे लोहा, सोना चांदी कोयला बॉक्साइट और हर तरह की कीमती धातु का मालिक आदिवासी ही रहेगा । यह बात सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा है जिसकी जमीन है उसकी जमीन से निकलने वाले सोने चांदी का मालिक वही रहेगा अर्थात आदिवासी को सरकार से भीख मांगने की जरूरत नहीं है वह अपने आप अमीर हो जाएगा ।
3. अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के विवाद झगड़े या जमीन संबंधित विवाद के लिए उस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी को पुलिस थाने या कोर्ट जाने की जरूरत नहीं है गांव के आदिवासी ही आपस में मिलकर विवाद का निपटारा कर सकते हैं!
4. आदिवासियों की मर्जी के बिना कोई भी गैर आदिवासी चाहे वह कलेक्टर हो प्रधानमंत्री हो या कोई और हो अनुसूचित क्षेत्रों में बिना आदिवासियों की मर्जी से क्षेत्र में नहीं घुस सकता है।
5. जिले में चपरासी से लेकर कलेक्टर तक सभी कर्मचारी अधिकारी सिर्फ आदिवासी ही रहेंगे कहने का मतलब यह है कि अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों को 100% आरक्षण मिलेगा।
6. अनुसूचित क्षेत्रों में शराब के ठेके और दुकाने नहीं खुल सकती हैं ।
7. अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी बच्चों की पढ़ाई किस भाषा में होना चाहिए आदिवासी बच्चों को किस प्रकार का कोर्स पढ़ाया जाए यह सब क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी भाइ ही निर्णय करेंगे।
8. चाय की दुकान ,पानी की दुकान ,कपड़े की दुकान, मोबाइल की दुकान ,इलेक्ट्रॉनिक की दुकान, सोने चांदी की दुकान सिर्फ आदिवासी ही खोल सकता है गैर आदिवासी अनुसूचित क्षेत्रों व्यापार नहीं कर सकते।
9. अनुसूचित क्षेत्रों बैंकों में पैसों का लेनदेन का नियंत्रण आदिवासियों के हाथ में ही रहेगा !
10. अनुसूचित क्षेत्रों में सिर्फ आदिवासियों का ही सरकार चलेगी जिसमें गांव की मिनी संसद अपने फैसले सुनाएगी कानून बनाएगी जिसे ग्रामसभा कहते हैं इसलिए 5 अनुसूचित क्षेत्रों में देश की विधानसभा और लोकसभा में बनाए जाने वाले आम कानून आदिवासियों पर लागू नहीं हो सकते।
11. आदिवासी क्षेत्रों में सिर्फ आदिवासियों का राज चलेगा मतलब आदिवासी क्षेत्रों के शासन प्रशासन का नियंत्रण आदिवासियों के हाथ में रहेगा
12. 20 सदस्यों की टीम जिसे जनजाति सलाहकार परिषद कहते हैं जो क्षेत्र के आदिवासियों के विकास और संरक्षण के लिए समय-समय पर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कुपोषण, भुखमरी, बेरोजगारी की जानकारी हर 3 महीने या 6 महीने या जब राष्ट्रपति चाहे तब राष्ट्रपति कार्यालय को भेजती है।
जागो आदिवासी जागो
आदिवासी बचाओ आंदोलन आदिवासियों का स्वाभिमानी आंदोलन। (यह जानकारी गोंडवाना कैलेंडर से ली गई है)
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